मंदिर के भूतल में प्रभु के आर्शीवाद से निःशुल्क प्राकृतिक स्वदेशी व घरेलू चिकित्सा पद्धतियों का प्रचार प्रारम्भ हो चुका है जिसमें आम व्यक्ति महंगी दवाओं और उनके शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव से बच सकता है। यहाँ योग ध्यान व अन्य सभी प्रकार की प्राकृतिक चिकित्सा का प्रसार व प्रचार हो रहा है। श्री बालाजी महाराज की कृपा से समिति वहाँ से समाज के उस वर्ग जो कुष्ठ, नेत्रहीन, अपंग, मानसिक या शारीरिक किसी भी व्याधि से ग्रस्त है की सेवा में सक्रिय सहयोग कर रही है तथा मंदिर परिसर में एक धर्म पुस्तकालय भी स्थापित किया गया है जहाँ पर सनातन धर्म व ईश्वर की शक्ति प्रवृति पर अध्ययन के लिये कृतियाँ उपलब्ध हैं।

मंदिर में प्राकृतिक चिकित्सा के महान विद्वान संत स्वामी शेषाद्रि स्वामिनाथन जी की शिक्षा के अनुरुप एक अत्यंत उच्चकोटि का प्राकृतिक चिकित्सा सेवा केन्द्र स्थापित करने की योजना है। जिसके माध्यम से जनसाधारण वास्तविक प्राकृतिक चिकित्सा का ज्ञान प्राप्त कर अपनी बीमारियों को जड़ से स्वंय ही उन्मूलन कर पाने में सक्षम होंगे और वो भी मात्र खाने पीने की साधारण वस्तुओं एवं फल सब्जियों के द्वारा ही, बिना किसी दवा इत्यादि की सहायता लिए।

मंदिर में नियमित रुप से अपने–अपने क्षेत्र के विशिष्ट ख्याति प्राप्त विद्वानो द्वारा योगाभ्यास, ध्यान, आत्मविकास, सूर्ययोगा इत्यादि की कार्यशालाओं का अत्यंत सफल आयोजन किया जाता है।

इन सेवाओं के सुचारु संचालन हेतु भक्तों का तन–मन–धन से क्रियात्मक सहयोग वांछनीय है।

समिति का लक्ष्य निम्न शब्दों में संकलित है।

सबका भला करो भगवान।
सब पर दया करो भगवान।।
सब पर कृपा करो भगवान।
सबका सब विधि हो कल्याण।।